21 दिसंबर को विश्व करेगा ध्यान – योगाचार्य शिवाकान्त शुक्ल
शहडोल (संजय गर्ग)। संयुक्त राष्ट्र महासभा में ’21 दिसंबर’ को ‘विश्व ध्यान दिवस’ के रूप में मनाने हेतु भारत के प्रस्ताव को सभी देशों ने स्वीकार किया। भारत , लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको और अंडोरा देशों के एक समूह ने 193 सदस्यों के समक्ष प्रस्ताव लाया जिसे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिसे धर्म सभा ने ध्यान से होने वाले लाभों को ध्यान में रखते हुए विश्व भर के लोगों में इसकी जागरूकता बढ़ाने के लिए ” 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस ” के रूप में घोषित किया।
ध्यान एक प्राचीन योग विधा है जो मन को एकाग्रता आनंद और शांति प्रदान करती है।
संयुक्त राष्ट्र में, ध्यान का एक विशेष स्थान है, जो न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ध्यान कक्ष द्वारा प्रदर्शित किया गया है। 1952 में महासचिव डैग हैमरशोल्ड के मार्गदर्शन में खोला गया, यह “शांति का कमरा” वैश्विक सामंजस्य प्राप्त करने में मौन और आत्म-निरीक्षण की आवश्यक भूमिका का प्रतीक है। विश्व ध्यान दिवस हमें मानव चेतना को पोषित करने के महत्व को स्मरण कराता है ताकि हम इनसे जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सकें और अपने भीतर और हमारे अपने लोगों में सामंजस्य स्थापित कर सकें। ध्यान के माध्यम से आंतरिक शांति को बढ़ाकर व्यक्ति वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक अधिक बेहतर और स्वस्थ विश्व बनाने में योगदान कर सकेंगे।
*21 दिसंबर को ही ध्यान दिवस क्यों* – 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है। इसके बाद दिन बड़ा होना प्रारंभ हो जाता है और रातें छोटी होती जाती हैं। यह खगोलशास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि यहीं से सूर्य का उत्तरायण में होना प्रारंभ होता है। इस दिन को शीत संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है ।
21 जून जिसे हम विश्व योग दिवस के रूप में मनाते हैं वह वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है , और 21 दिसंबर को वर्ष की सबसे बड़ी रात होगी , जिसे विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाया जाएगा ।
योगाचार्य शिवाकान्त ने बताया कि यह हमारे भारत देश के लिए एक और बड़ी उपलब्धि है जो हमारे यहाँ की योग संस्कृति और विरासत को विश्व के शीर्षपटल पर स्थापित कर भारत विश्व गुरु है यह सिद्ध करेगा ।