शहडोल : सोहागपुर विकासखंड अंतर्गत खुलती शिक्षा की पोल , लूटो खाओ की नैय्या पर सवार संकुल एवं प्रभारी प्राचार्य, 6 वर्ष में जर्जर हुआ विद्यालय का भवन , जान जोखिम में डालकर जर्जर भवन में पढ़ रहे छात्र
सोहागपुर विकासखंड अंतर्गत खुलती शिक्षा की पोल ,
लूटो खाओ की नैय्या पर सवार संकुल एवं प्रभारी प्राचार्य,
6 वर्ष में जर्जर हुआ विद्यालय का भवन , जान जोखिम में डालकर जर्जर भवन में पढ़ रहे छात्र
शहडोल।( संजय गर्ग) एक और जहां पर लगातार प्रदेश की सरकार द्वारा शिक्षा के स्तर को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर आदिवासी अंचल में स्थित विद्यालयों की स्थिति बत से बतर होती जा रही है।
मामला कुछ इस प्रकार
दरअसल यह पूरा मामला सोहागपुर विकासखंड अंतर्गत शासकीय हाई स्कूल बगैहा का है जहां पर इन दोनों भर्रेशाही का आलम जारी है।
विद्यालय के हालात ऐसे हैं कि जहां पर शिक्षा ग्रहण कर पाना मुश्किल है।
व्यापक अनियमिताओं से गिरा यह विद्यालय चर्चा का विषय बना हुआ है।
संकुल एवं प्रभारी प्राचार्य पर लग रहे आरोप
विद्यालय में पदस्थ अतिथि शिक्षक एवं वहां के रेगुलर शिक्षकों का आरोप है कि विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य प्रमोद अहिरवार विद्यालय के स्टाफ को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं इतना ही नहीं प्रभारी प्राचार्य का तानाशाही इतनी बढ़ी हुई है कि अब तक वहां पदस्थ अतिथि शिक्षकों का अप्रैल माह का वेतन अब तक उन्हें नहीं मिला है जिसकी शिकायत अतिथि शिक्षकों ने कई बार संकुल पिपरिया हायर सेकेंडरी के प्राचार्य केएम शुक्ला से की लेकिन किसी भी प्रकार का कोई निराकरण संकुल प्राचार्य के द्वारा नहीं किया गया। इतना ही नहीं छात्रों के द्वारा भी प्रभारी प्राचार्य के ऊपर संगीन आरोप लगाए गए । जिसमें बच्चों ने बताया कि कभी – कभी हमारे प्राचार्य
नशे में दूत हो कर विद्यालय आते हैं व बच्चों के साथ मारपीट करते हैं।
जर्जर भवन ने खोली गुणवत्ता की पोल
प्राप्त जानकारी के अनुसार शासकीय हाई स्कूल बगैहा में 6 वर्ष पूर्व विद्यालय का भवन निर्मित हुआ था जिसने पूरे गुणवत्ता की पोल खोल कर रखती है बता दें कि 6 वर्ष के अंतराल में ही विद्यालय का भवन गिरने की कगार पर है।
जिसमें बच्चे मजबूर होकर पढ़ रहे हैं जिससे किसी न किसी दिन बड़ी घटना की आशंका है। लेकिन सवाल है कि क्या यह हालत जिले में बैठे अधिकारी व संकुल प्राचार्य को नहीं दिख रही है यह वह देखना नहीं चाहते।
विद्यालय में अवस्था का अंबार
बता दें कि तथा कथित विद्यालय में लगभग डेढ़ सौ छात्र अध्ययन कर रहे हैं लेकिन विद्यालय का शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है।
विद्यालय में कंप्यूटर व प्रयोग शाला समेत कई कक्ष निर्मित है किंतु किसी में भी सामग्री उपलब्ध नहीं। साथ ही कक्षा में बच्चों के बैठने के लिए समुचित व्यवस्था भी नहीं।
प्रयोगशाला के नाम पर खाली एक कमरा है जहां पर कोई भी प्रयोगिक सामग्री उपलब्ध नहीं है पर सवाल यह उठता है की प्रतिवर्ष प्रयोग शाला के नाम पर ₹25000 जो शासन द्वारा दिए जाते हैं उसका दुरुपयोग कौन कर रहा है। लैब असिस्टेंट दीपू गुप्ता नामक व्यक्ति को अतिथि के तौर पर रखा गया है जो की मनमर्जी तरीके से विद्यालय आते जाते हैं।
खेलकूद की भी सामग्री नहीं
उक्त विद्यालय में छात्रों के लिए खेलकूद की भी कोई सामग्री का इंतजाम नहीं किया गया है। इसकी वजह से छात्र अभाव में रह रहे हैं।
स्मार्ट क्लास में भी गड़बड़ झाला
विद्यालय में स्मार्ट क्लास का कक्ष बना हुआ है किंतु आज तक स्मार्ट क्लास में बच्चों को नहीं पढ़ाया जाता है। स्मार्ट क्लास के कक्ष में ताला लगाकर रखा गया है। इसी प्रकार कंप्यूटर कक्ष में मात्र एक ही कंप्यूटर मौजूद है लेकिन कंप्यूटर सीखने वाला कोई भी शिक्षक वहां पर मौजूद नहीं जिसकी वजह से छात्र कंप्यूटर जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना नहीं जान रहें हैं।
जो कि कहीं ना कहीं बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
इस पूरे मामले में प्रभारी प्राचार्य व संकुल प्राचार्य लग रहे विभिन्न आरोप लगाए गए हैं ।
जिसके चलते इनकी भूमिका संदिग्ध नजर आती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि बजट के नाम पर शासन करोड़ों रुपए विद्यालयों में भेजती है।
तो क्या?? लूटो खाओ की स्कीम पर काम कर रहे यह दोनों शासकीय कर्मचारी केवल और केवल अपनी जेब भरने में लगे हैं।
जिन्हें छात्रों के भविष्य से कोई लेना-देना नहीं है।
अब देखना यह होगा कि मामला सामने आने के बाद प्रशासन किस प्रकार कार्यवाही करता है
जिम्मेदारों की प्रतिक्रिया
हां मैं मानता हूं कि विद्यालय में कई अनियमिताएं हैं जिनको दूर करने का प्रयास हमारे द्वारा किया जा रहा है प्रभारी प्राचार्य के ऊपर लगाया गया आप न्याय संगत नहीं है। मैं अब तक विद्यालय नहीं गया हूं। रही बात अतिथि शिक्षकों की बात तो अप्रैल में सत्र खत्म हो गया था।
के एम शुक्ला ( प्राचार्य) संकुल हायर सेकेंडरी पिपरिया जिला शहडोल ।