जैतपुर: तो भाटिया मंदिर भी नहीं रहा भ्रष्टाचार से अछूता , न्याय ट्रस्ट के नाम पर चल रहा भ्रष्टाचार का गोरख धंधा
तो भाटिया मंदिर भी नहीं रहा भ्रष्टाचार से अछूता ,
न्याय ट्रस्ट के नाम पर चल रहा भ्रष्टाचार का गोरख धंधा
शहडोल (संजय गर्ग) । संभाग के प्राचीन मंदिरों में से एक मान सिंह वाहिनी शक्तिपीठ भाटिया मंदिर का इतिहास तो सभी जानते हैं। यह शक्तिपीठ माता के समस्त शक्तिपीठों में से सर्वशक्तिमान माना जाता है जहां माता के दर्शन मात्र से भक्तों के सारे क्लेश दूर हो जाते हैं।
लेकिन भ्रष्टाचार नामक शब्द ऐसा शब्द है जिसने आज मां सिंहवाहिनी को भी नहीं छोड़ा है ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं।क्योंकि मंदिर के कामकाज सुचारू रूप से चलने देने के लिए सन 1997 में मां सिंहवाहिनी न्याय ट्रस्ट का गठन किया गया था।
किंतु मंदिर ट्रस्ट में कुछ ऐसे भ्रष्टाचारियों का आगमन हुआ इसके बाद सन 1997से लेकर आज दिनांक तक मंदिर ट्रस्ट केवल नाम मात्र का बनकर रह गया जिसमें मंदिर हितों में कर छोड़कर ट्रस्ट के अध्यक्ष व सदस्यों समेत सब अपनी अपनी जेब भरने में लग गए। जो कि कहीं ना कहीं इस कहावत को चरितार्थ हैं , “रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा ऐसा होगा भ्रष्टाचार कि भगवान भी बच ना पायेगा “।
क्या है पूरा मामला
मुख्यालय से लगभग 50 किमी. की दूरी पर माँ सिंहवाहिनी शक्ती पीठ भठिया मंदिर स्थित है जहाँ पर 50 किमीजों की संख्या में श्रद्धालू मातारानी के दर्शन के लिए आते हैं, जहा चैत्र नवरा अर्थ वा शारदेय नवरात्री मे भव्य नौ दिनो का मेला भी लगता है। इस शक्ती पीठ से न केवल स्थानीय अपितु दूर दराज के भक्तो की भी गहरी आस्था जुडी हुई है, मॉ सिंहवाहिनी शक्ती पीठ जिसने न्यास धारी ट्रस्टी अध्यक्ष एवं सदस्यो के अलावा सचिव तहसीलदार है 1997 से अब तक मंदिर कि सम्पूर्ण आय व्यय की जवाबदारी मॉ सिंहवाहिनी मंदिर न्यास भठिया कि है।
चढ़वे के पैसों में करते गोलमाल
जो चढावा (दान) भक्तो के द्वारा माता सनी को अर्पित किए जाते है उन चढावे एवं पैसो का उपयोग मंदिर विकास कार्यों में होना चाहिए जोकि 1997 से माँ सिंहवाहिनी मंदिर न्यास भठिया के अध्यक्ष एवं सदस्यों द्वारा लगातार न तो आय व्यव कि सही जानकारी रखी जा रही है न ही मंदिर के संचालन एवं विकास कार्यों में लगाया जा रहा है।
ट्रस्ट के जिम्मेदारों पर लग रहे लेनदेन के गंभीर आरोप
तथा मंदिर के वित्तीय लेन- देन में व्यापक रूप से भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिससे कि आम जन एवं भक्तो कि आस्था को गहरी ठेस पंहुची है एवं भक्तो मे रोष व्याप्त है।
खान – पान से लेकर मां के वस्त्रो कि नहीं है व्यवस्था
मॉ सिंहवाहिनी मंदिर न्यास द्वारा माता रानी के भोग प्रसाद एवं वस्त्रो की व्यवस्था 1997 से लेकर आज दिनांक तक नहीं की गई।
1997 से आज दिनांक तक एक भी बार आय व्यय का डेटा सम्पादित (आडिट) नही काराया गया है।
ट्रस्ट अध्यक्ष के रूप में लंबे अरसे से हैं काबिज
2005 से लेकर दिनांक तक एक ही व्यक्ति अध्यक्ष के रूप में कार्यरत है, तथा चुनाव की प्रक्रिया न्यास द्वारा आज दिनांक तक नही कराया गया ।
न्यास भठिया के द्वारा दुकानदारो को दुकान की निलामी करके दुकान आवंटित किए गए दुकानदारो को आज दिनांक तक किसी प्रकार का अनुबन्ध की प्रतिलिपि न्यास द्वारा नही दिया गया है।
बैठक के नाम पर गुटबाजी
. न्यास के बैठक में कभी भी स्थानीय दुकानदार एवं स्थानी जन को बेठक की सूचना नहीं दी जाती एवं मनमाने ढंग से कोई भी निर्णय (आदेश) जारी कर दिया जाता है।
त्योहारों में दुकानदारों से ट्रस्ट करता अवैध वसूली
चैत्र नवरात्री एवं शारदेय नवरात्री के मेला में आए भक्तो एवं दुकानदारो से अभद्रता एवं दुकानदारो से अवैध वसूली की जाती है तथा दुकानदारो को न्यास द्वारा कोई सुविधा उपलब्ध नही कराई जाती है।
मंदिर की चोरी में क्या ??है ट्रस्ट का हाथ
मॉ सिंहवाहिनी मंदिर में कई बार अज्ञात चोरो द्वारा माता रानी की आभूषणो एवं दान पेटी को तोडकार चोरी कर ली गई किन्तु आज दिनांक तक कोई भी समुचित व्यवस्था न्यास द्वारा नही की गई हैं। जबकि बार-बार मंदिर में चोरी जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रही है। इसके बावजूद भी मंदिर के न्याय ट्रस्ट के द्वारा इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया अपुष्ट सूत्रों की यदि मन तो ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि लगातार मंदिरों में जो चोरी की घटनाएं होती हैं उसमें कहीं ऐसा तो नहीं कि ट्रस्ट का हाथ हो।
मंदिर के प्राचीन वस्तुओं को बेच रहे
न्यास के द्वारा बिना किसी विज्ञप्ती के फर्जी तरीके से सदस्यो की नियुक्ति कर दी गई जो नियमानुसार गलत है।
मंदिर प्रांगण में लगे पेड़ों की का
मॉ सिंहवाहिनी प्रांगण में लगे यूके लिप्टिस के पेड़ एवं इमारती लकडियो को बिना निलामी के गलत तरीके से बेच दिया गया एवं पुराने मंदिर से निकली हुई सामग्री पुरातत्व पत्थर, चीप. लोहे के गाटर, छड, इत्यादि को बेचकर उसकी राशि गबन कर दिया गया ।
मंदिर से लगे तालाब का डूबता अस्तित्व
श्रद्वालुओं द्वारा भंडारे के लिए आए नगद एवं सामग्री दान का कोई हिसाब न्यास के द्वारा नही रखा जाता मॉ सिंहवाहिनी मंदिर के बगल से प्रसिद्ध तालाब जोकि भक्तो के आस्था का मुख्य बिन्दु है वहा पर जबारा विसर्जन कराने के बाद तालाब की साफ सफाई नही कराई जाती जिससे तालाब का अस्तित्व डूब के कगार में है।
इस पूरे मामले में देखना यह होगा कि लगातार मंदिर ट्रस्ट पर लग रहे गंभीर आरोपों पर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।