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शहडोल: जिला पंचायत में पहुंची शिकायत : क्या निर्माण एजेंसी क्या जांच जिम्मेदार सब ने धोए भ्रष्टाचार की गंगा में हाथ ,  कागजों तक ही सीमित रह गया ग्राम पंचायत का विकास कार्य 

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जिला पंचायत में पहुंची शिकायत : क्या निर्माण एजेंसी क्या जांच जिम्मेदार सब ने धोए भ्रष्टाचार की गंगा में हाथ ,

 कागजों तक ही सीमित रह गया ग्राम पंचायत का विकास कार्य, 

शहडोल (संजय गर्ग)। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था आदिवासी व ग्रामीण अंचलों में शासन की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बनाए गए इस विभाग को मानो भ्रष्टाचार की नजर सी लग गई है।

जहां पर पंचायत एजेंसी समेत जांच जिम्मेदार भी अपनी भ्रष्टाचार की काली स्याही से निर्माण कार्यों को कागजों में सीमित कर शासकीय राशि का दुरुपयोग कर रहे हैं। 

जिसकी शिकायत 10 दिसंबर 2024 को प्रार्थी विकास कुमार पटेल ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को की है।

 कुछ ऐसा है पूरा मामला

दरअसल मामला जिले के जनपद जयसिंहनगर अंतर्गत ग्राम बराछ का है जहां शिकायतकर्ता विकास कुमार पटेल के द्वारा बताया गया कि ग्राम पंचायत बराछ में वित्तीय वर्ष 2017-18 में पथ वृक्षारोपण कार्य सेकंड श्रेणी रोड से शंकर तालाब के पास 3 लाख 35 हजार की राशि स्वीकृत की गई थी जिसमे पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा सब इंजीनियर से मिली भगत कर राशि आहत कर ली गई है । इतना ही नहीं उल्लिखित ग्राम पंचायत बराछ में  और कई निर्माण कार्य है जो कि सिर्फ कागजों तक ही सीमित है धरातल पर सत्य कुछ और ही है । 

मजे की बात तो यह है कि सभी की जांच जिला पचायत के सब इजीनियर के पास है। जिसकी चर्चा अगले अंकमें की जाएगी।

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निर्माण स्थल में नहीं है एक भी वृक्ष

उल्लिखित शिकायत के अनुरूप जिस स्थल पर कार्य स्वीकृत हुआ वहां पर किसी भी प्रकार का कोई वृक्षारोपण नहीं हुआ है। जिससे स्पष्ट होता है की ग्राम पंचायत एजेंसी एवं सब इंजीनियर के द्वारा संगठित भ्रष्टाचार किया गया है।

 सब इंजीनियर ने ऐंठे लाखों

अपुष्ट सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत बराछ में निर्माण एजेंसियों से सांठ-गांठ कर जिला पंचायत में पदस्थ सब इंजीनियर के द्वारा₹1 लाख रुपए की रिश्वत जांच को दबाने के लिए ली गई है यह हम नहीं कहते ऐसा हमारे सूत्र बताते हैं। 

इतना ही नहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि स्थल निर्माण का बिना निरीक्षण किये ही सब इंजीनियर ने घर बैठे-बैठे ही मौका पंचनामा बना दिया है। जो की जांच का विषय है

 यह भी है विचारणीय

पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि बढ़ते भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जब जांच एजेंसी में सम्मिलित जिम्मेदारों को जांच सौंप जाती है तो वह खुद ही उसे भ्रष्टाचार में गोते लगाने लगते हैं जिससे पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। 

वरना कैसे किसी मामले में निष्पक्षता आएगी यह बड़ा सवाल है??

 ऐसी है प्रशासनिक प्रतिक्रिया

जब इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ से बात करनी चाहिए तो कई बार फोन करने के बाद भी फोन रिसीव नहीं हुआ।

 आर. अंजलि.   (सीईओ) जिला  पंचायत जिला शहडोल

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